प्रकाशित: 14-06-2025: 17:01

अगर आपके निवेश का मूल्य 100 रुपये से बढ़कर 120 रुपये हो जाए, तो क्या आप इसे जोखिम मानेंगे? शायद नहीं! असली चिंता तो तब होती है जब वह 100 रुपये से गिरकर 80 रुपये हो जाए। यहीं पर आता है सेमी डीवीऐशन (Semi-Deviation) का कॉन्सेप्ट – यह एक ऐसा तरीका है जो सिर्फ उसी "खतरे" को मापता है जिससे हम सच में डरते हैं: नुकसान होने का जोखिम।

क्या आपने कभी सोचा है कि जब हम निवेश की बात करते हैं तो "जोखिम" शब्द का असली मतलब क्या होता है? अक्सर हमें लगता है कि जोखिम का मतलब है निवेश के मूल्य का ऊपर-नीचे होना। पर क्या सच में ऊपर जाना (मुनाफा) भी जोखिम है? सोचिए... अगर आपके निवेश का मूल्य 100 रुपये से बढ़कर 120 रुपये हो जाए, तो क्या आप इसे जोखिम मानेंगे? शायद नहीं! असली चिंता तो तब होती है जब वह 100 रुपये से गिरकर 80 रुपये हो जाए। यहीं पर आता है सेमी डीवीऐशन (Semi-Deviation) का कॉन्सेप्ट – यह एक ऐसा तरीका है जो सिर्फ उसी "खतरे" को मापता है जिससे हम सच में डरते हैं: नुकसान होने का जोखिम।


जोखिम को समझने की पुरानी पद्धति: स्टैन्डर्ड डीवीऐशन  (Standard Deviation)
निवेश की दुनिया में जोखिम मापने के लिए सबसे प्रसिद्ध तरीका है स्टैन्डर्ड डीवीऐशन  (Standard Deviation)। इसे समझना थोड़ा जटिल लग सकता है, लेकिन एक सरल उदाहरण से समझते हैं।
मान लीजिए आप हर रोज़ एक ही ठेले से भुट्टा खरीदते हैं। किसी दिन भुट्टा 20 रुपये का मिलता है, किसी दिन 22 रुपये का, तो किसी दिन 18 रुपये का। कीमत में यह उतार-चढ़ाव ही स्टैन्डर्ड डीवीऐशन  दिखाता है। यह बताता है कि भुट्टे की कीमत औसतन (मान लीजिए 20 रुपये) से कितनी ऊपर-नीचे होती रहती है। जितना ज्यादा स्टैन्डर्ड डीवीऐशन , उतनी ज्यादा कीमत में उछाल।
अब इसे निवेश पर लागू करें। अगर कोई म्यूचुअल फंड या शेयर का स्टैन्डर्ड डीवीऐशन  ज्यादा है, तो इसका मतलब है कि उसका रिटर्न (मुनाफा या घाटा) औसत रिटर्न से काफी ऊपर-नीचे होता है। यह तो ठीक है, लेकिन इसमें एक बड़ी खामी है: यह अच्छे उतार-चढ़ाव (मुनाफा) और बुरे उतार-चढ़ाव (नुकसान) में फर्क नहीं करता!


स्टैन्डर्ड डीवीऐशन  की समस्या: मुनाफे को भी जोखिम मानना!
फिर से भुट्टे वाले उदाहरण पर लौटते हैं। मान लीजिए एक दिन भुट्टे की कीमत औसत 20 के मुकाबले घटकर 18 रुपये हो जाती है (नुकसान का डर), तो दूसरे दिन बढ़कर 25 रुपये हो जाती है (अचानक मुनाफा!)। स्टैन्डर्ड डीवीऐशन  दोनों ही दिनों के उतार-चढ़ाव (18 और 25 दोनों 20 से दूर हैं) को जोखिम मानेगा। पर आम निवेशक के लिए, कीमत का 20 से बढ़कर 25 होना जोखिम नहीं, बल्कि खुशी की बात है! असली जोखिम तो तब है जब कीमत 20 से गिरकर 18 या उससे भी नीचे चली जाए।
यही स्टैन्डर्ड डीवीऐशन  की सबसे बड़ी कमी है। यह आपके निवेश के "अच्छे दिनों" (जब रिटर्न औसत से ऊपर होता है) को भी जोखिम के रूप में गिनता है। लेकिन हम निवेशकों को तो सिर्फ "बुरे दिनों" (जब रिटर्न औसत से नीचे होता है या नुकसान होता है) से डर लगता है!


 


सेमी डीवीऐशन: सिर्फ "नुकसान" के जोखिम पर नज़र


यहीं पर सेमी डीवीऐशन (Semi-Deviation) हमारी मदद करता है। इसे "डाउनसाइड डेविएशन" भी कहा जाता है। जैसा कि नाम से ही पता चलता है, यह सिर्फ "आधे" हिस्से – नुकसान वाले हिस्से – को मापता है। यानी, सेमी डीवीऐशन सिर्फ उन्हीं समयावधियों को देखता है जब निवेश का रिटर्न या तो किसी निर्धारित लक्ष्य (जैसे औसत रिटर्न या बैंक FD का रिटर्न) से कम होता है या फिर नुकसान होता है। जब रिटर्न लक्ष्य से ऊपर होता है, सेमी डीवीऐशन उस पर ध्यान ही नहीं देता!
इसे और सरल बनाते हैं:

  • लक्ष्य तय करना (Target): पहले हमें एक "लक्ष्य" रिटर्न तय करना होता है। यह आमतौर पर निवेश के औसत रिटर्न (Mean) हो सकता है, या फिर कोई और बेंचमार्क जैसे बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट का रिटर्न या फिर शून्य (0%) – यानी सिर्फ नुकसान से बचने पर फोकस।
  • सिर्फ "नीचे" के रिटर्न को देखना (Downside Only): सेमी डीवीऐशन गणना में सिर्फ उन्हीं समयों (दिन, महीने, साल) के रिटर्न को शामिल करता है जब वास्तविक रिटर्न इस लक्ष्य रिटर्न से कम रहा हो।
  • कितना कम? (Measuring the Shortfall): फिर यह देखता है कि हर बार जब रिटर्न लक्ष्य से नीचे था, तो वह कितना नीचे था (यानी लक्ष्य और वास्तविक रिटर्न के बीच कितना अंतर/कमी थी?)।
  • औसतन कितना नीचे? (Average Downside): इन सभी "नीचे" वाले अंतरों (shortfalls) का एक प्रकार का औसत (सटीक तकनीकी शब्द है 'स्टैण्डर्ड डेविएशन ऑफ डाउनसाइड रिटर्न्स') निकालता है। यही औसतन कमी या नीचे जाने की मात्रा ही सेमी डीवीऐशनहोती है।

सरल शब्दों में: सेमी डीवीऐशन बताता है कि कोई निवेश अपने लक्ष्य रिटर्न (जैसे उसका अपना औसत) से औसतन कितना नीचे गिरने की संभावना या इतिहास रखता है, और वह भी सिर्फ तब जब वह नीचे होता है। यह बिल्कुल उस चिंता को मापता है जो आपके दिमाग में होती है: "मेरा पैसा कितना डूब सकता है?"
 


सेमी डीवीऐशनvs स्टैन्डर्ड डीवीऐशन : एक काल्पनिक उदाहरण
दो काल्पनिक म्यूचुअल फंड्स A और B पर विचार करें। दोनों का औसत सालाना रिटर्न 12% है। पिछले 5 सालों के रिटर्न कुछ ऐसे रहे:

  • फंड A: 8%, 10%, 12%, 14%, 16%
  • फंड B: 2%, 5%, 12%, 25%, 26%

स्टैन्डर्ड डीवीऐशन  (Standard Deviation):

  • फंड A: रिटर्न 8,10,12,14,16 (औसत=12)। औसत से अंतर: -4%, -2%, 0%, +2%, +4%। इन अंतरों के वर्गों का औसत और उसका वर्गमूल लेने पर स्टैन्डर्ड डीवीऐशन  कम आएगा क्योंकि रिटर्न औसत के करीब हैं।
  • फंड B: रिटर्न 2,5,12,25,26 (औसत=12)। औसत से अंतर: -10%, -7%, 0%, +13%, +14%। यहां अंतर बहुत ज्यादा हैं (खासकर ऊपर की तरफ)। इसलिए फंड B का स्टैन्डर्ड डीवीऐशन  फंड A से काफी ज्यादा होगा। स्टैन्डर्ड डीवीऐशन  के हिसाब से फंड B ज्यादा जोखिम भरा है।

सेमी डीवीऐशन(Semi-Deviation - लक्ष्य = औसत 12%):

  • फंड A: औसत (12%) से नीचे केवल दो बार रिटर्न था: 8% (-4% नीचे) और 10% (-2% नीचे)। सिर्फ इन दो अंकों (4% और 2% की कमी) के आधार पर सेमी डीवीऐशनकी गणना होगी। यह कम होगा।
  • फंड B: औसत (12%) से नीचे भी दो बार रिटर्न था: 2% (-10% नीचे) और 5% (-7% नीचे)। सिर्फ इन दो अंकों (10% और 7% की कमी) के आधार पर सेमी डीवीऐशनकी गणना होगी। यह फंड A के सेमी डीवीऐशन से काफी ज्यादा होगा।

निष्कर्ष:

  • स्टैन्डर्ड डीवीऐशन : फंड B को ज्यादा जोखिम भरा बताता है क्योंकि इसका रिटर्न बहुत ज्यादा ऊपर (25%, 26%) भी गया है।
  • सेमी डीवीऐशन: फंड B को ज्यादा जोखिम भरा बताता है क्योंकि जब इसका रिटर्न नीचे गया तो बहुत ज्यादा नीचे गया (2%, 5%)। फंड A का नुकसान अपेक्षाकृत कम था (8%, 10%)।
     

सेमी डीवीऐशन आपके लिए क्यों महत्वपूर्ण है?

  • आपकी वास्तविक चिंता को दर्शाता है: ज्यादातर निवेशकों को सिर्फ नुकसान होने का डर सताता है। सेमी डीवीऐशन सीधे तौर पर इसी डर को मापता है। यह आपको बताता है कि निवेश में औसतन कितना नीचे जाने का खतरा रहता है।
  • रूढ़िवादी निवेशकों के लिए ज्यादा उपयोगी: अगर आप सुरक्षा को प्राथमिकता देते हैं, FD, सोना या डेट फंड्स जैसे कम जोखिम वाले विकल्प पसंद करते हैं, तो सेमी डीवीऐशन आपके लिए स्टैन्डर्ड डीवीऐशन  से कहीं बेहतर मापदंड है। यह आपको ऐसे फंड्स या स्टॉक्स खोजने में मदद कर सकता है जिनमें मुनाफा कम हो सकता है लेकिन बहुत ज्यादा नुकसान का जोखिम भी कम होता है।
  • "खतरनाक" स्थिरता को पहचानने में मदद: कुछ निवेश ऊपर तो बहुत नहीं जाते, लेकिन नीचे भी बहुत ज्यादा नहीं गिरते। उनका स्टैन्डर्ड डीवीऐशन  कम होगा, लेकिन उनका सेमी डीवीऐशन और भी कम होगा, जो एक रूढ़िवादी निवेशक के लिए अच्छा संकेत है। दूसरी ओर, जो निवेश कभी-कभी बहुत ऊपर जाते हैं लेकिन कभी-कभी बहुत गहराई तक गिर जाते हैं, उनका सेमी डीवीऐशन ज्यादा होगा – यह आपको चेतावनी देता है।
  • बेहतर तुलना: अगर दो निवेश विकल्पों (जैसे दो इक्विटी फंड्स) का औसत रिटर्न लगभग समान है, तो सेमी डीवीऐशन आपको बता सकता है कि किसमें नुकसान का जोखिम कम है। कम सेमी डीवीऐशनवाला फंड आपकी नींद ज्यादा शांत रखेगा!

सेमी डीवीऐशन कहाँ मिलेगा और कैसे इस्तेमाल करें?

  • www.bmsmoney.com पे ये डाटा उपलब्ध है। 
  • कैसे देखें?: फैक्टशीट या वेबसाइट पर "Risk Measures" या "Risk Statistics" जैसे हेडिंग के नीचे देखें। "Standard Deviation" के साथ "Semi-Deviation" या "Downside Deviation" लिखा मिलेगा। इसके आगे एक प्रतिशत (%) वैल्यू होगी।
  • कैसे समझें?
    • कम अर्ध-विचलन: आमतौर पर बेहतर होता है (खासकर रूढ़िवादी निवेशकों के लिए), क्योंकि इसका मतलब है नुकसान का औसतन जोखिम कम है। जैसे 5% का सेमी डीवीऐशन10% वाले की तुलना में बेहतर है।
    • तुलना करें: हमेशा समान प्रकार के फंड्स (जैसे दो लार्ज-कैप फंड्स या दो शॉर्ट-टर्म डेट फंड्स) का सेमी डीवीऐशनआपस में तुलना करें। अलग-अलग कैटेगरी के फंड्स (जैसे इक्विटी फंड vs डेट फंड) के सेमी डीवीऐशनकी तुलना का कोई मतलब नहीं होता।
    • अवधि: ध्यान रखें कि सेमी डीवीऐशनएक निश्चित अवधि (जैसे पिछले 3 साल) के डेटा पर आधारित होता है। अलग-अलग अवधि के लिए यह अलग हो सकता है।
    • एकल मापदंड नहीं: सेमी डीवीऐशनएक बहुत उपयोगी टूल है, लेकिन निवेश का फैसला सिर्फ इसी के आधार पर न लें। औसत रिटर्न, फंड मैनेजर का अनुभव, फंड हाउस की प्रतिष्ठा, खर्चे (एक्सपेंस रेशियो), और आपकी खुद की जोखिम उठाने की क्षमता (Risk Appetite) और वित्तीय लक्ष्यों को भी ध्यान में रखें।

निष्कर्ष: अपनी चिंता का सही मापदंड चुनें


निवेश की दुनिया में जोखिम एक जटिल अवधारणा है। स्टैन्डर्ड डीवीऐशन  जैसे पारंपरिक तरीके पूरी तस्वीर नहीं दिखाते क्योंकि वे मुनाफे को भी जोखिम मान बैठते हैं। सेमी डीवीऐशनएक स्मार्ट विकल्प है जो सीधे आपकी मुख्य चिंता – पैसे के डूबने के डर – पर प्रकाश डालता है। यह आपको बताता है कि किसी निवेश में औसतन कितना नीचे जाने का रिस्क है।
अगर आप सुरक्षा को तरजीह देते हैं, या फिर ऐसे निवेश चाहते हैं जो बाजार के गिरने पर बहुत ज्यादा न डूबें, तो सेमी डीवीऐशन को समझना और उसे देखना शुरू कर दें। अगली बार जब आप किसी म्यूचुअल फंड की फैक्टशीट देखें, तो सिर्फ रिटर्न और स्टैन्डर्ड डीवीऐशन  पर ही न रुकें। "Semi-Deviation" या "Downside Deviation" ढूंढ़ें। यह छोटा सा आंकड़ा आपको निवेश के असली "डार्क साइड" के बारे में बहुत कुछ बता सकता है और आपको अधिक सूचित तथा शांतिपूर्ण निवेश निर्णय लेने में मदद कर सकता है। याद रखें, निवेश में सिर्फ ऊँचाई ही महत्वपूर्ण नहीं होती, बल्कि गिरने पर कितनी गहराई से बचा जा सकता है, यह भी उतना ही महत्वपूर्ण है। सेमी डीवीऐशन आपको वही गहराई मापने की चाबी देता है।